The best Side of Shodashi
Wiki Article
The Matrikas, or perhaps the letters with the Sanskrit alphabet, are regarded as the subtle type of the Goddess, with Every single letter Keeping divine electricity. When chanted, these letters Merge to type the Mantra, creating a spiritual resonance that aligns the devotee With all the cosmic Power of Tripura Sundari.
Goddess Tripura Sundari Devi, generally known as Shodashi or Lalita, is depicted with a rich iconography that symbolizes her numerous attributes and powers. Her divine kind is often portrayed as an attractive young woman, embodying the supreme elegance and grace from the universe.
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥
When Lord Shiva heard regarding the demise of his spouse, he couldn’t control his anger, and he beheaded Sati’s father. Continue to, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s everyday living and bestowed him using a goat’s head.
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
She is an element of your Tridevi as well as Mahavidyas, representing a spectrum of divine femininity and affiliated with each delicate and intense facets.
Shodashi Goddess is one of the dasa Mahavidyas – the ten goddesses of wisdom. Her title ensures that she is the goddess who is often 16 many years old. Origin of Goddess Shodashi happens after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
कामाकर्षिणी कादिभिः here स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः
देव्यास्त्वखण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः ॥१३॥
संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥